दोस्तों हिंदू धर्म में जितना महत्वपूर्ण कृष्ण जन्माष्टमी को माना जाता है, उतना ही महत्वपूर्ण राधा अष्टमी को भी माना जाता है। बता दें कि इस दिन व्रत रखकर राधा रानी की पूजा करना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन दोस्तो, कहा जाता है कि राधा अष्टमी के दिन का व्रत और पूजा एक चीज के बिना पूरी तरह अधूरी है, और वह है राधा चालीसा। कहा जाता है कि राधा चालीसा का पाठ करें बिना हमें राधा अष्टमी पर किए गए व्रत और पूजा का फल प्राप्त नहीं होता, इसलिए विशेष रूप से इस दिन राधा चालीसा का पाठ किया जाता है। तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको राधा अष्टमी और राधा चालीसा से जुड़े कुछ सवालों के जवाब देने वाले हैं, इसलिए इस आर्टिकल को आखिरी तक जरूर पढ़ें। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और शुरू करते हैं।
राधा अष्टमी कब मनाई जाती है
दोस्तों राधा अष्टमी की बात करें, तो बता दे की राधा अष्टमी को हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इसे भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि को ही, यानी कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिनों बाद मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन बरसाना में राधा रानी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को राधा रानी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राधा रानी के भक्त व्रत रखते हैं और शाम के समय श्री कृष्ण जी और राधा रानी की पूजा करके राधा चालीसा का पाठ करते हैं।
राधा अष्टमी को क्यों करें राधा चालीसा का पाठ
दोस्तों अगर बात करें राधा अष्टमी को हमें Radha Chalisa का पाठ क्यों करना चाहिए, तो बता दे की राधा अष्टमी वाले दिन राधा चालीसा का पाठ करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि जब तक राधा अष्टमी वाले दिन व्रत रखकर राधा रानी की पूजा करके राधा चालीसा का पाठ न किया जाए, तब तक भक्त को कृष्ण जन्माष्टमी में किए गए व्रत और पूजा का भी फल प्राप्त नहीं होता है। वही राधा अष्टमी के दिन अगर आप बिना राधा चालीसा का पाठ किए व्रत और पूजा करते हैं, तो भी आपको उसका कोई फल प्राप्त नहीं होता। क्योंकि राधा चालीसा का पाठ करने से राधा रानी अत्यंत प्रसन्न होती है, जिसकी वजह से भक्तो को उनके व्रत और पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इसलिए राधा अष्टमी वाले दिन विशेष रूप से राधा चालीसा का पाठ किया जाता है, और आपको भी राधा अष्टमी के दिन राधा चालीसा का पाठ विशेष तौर पर करना चाहिए।
राधा अष्टमी का त्यौहार कैसे मनाए
दोस्तों राधा अष्टमी का त्यौहार मनाने के लिए आपको पूरा दिन व्रत करना होता है, और शाम के समय राधा कृष्ण की पूजा के पश्चात ही अपना व्रत खोलकर भोजन ग्रहण करना होता है। तो चलिए राधा अष्टमी कैसे मनाए इसके बारे में जान लेते हैं।
1: दोस्तों सबसे पहले आपको राधा अष्टमी वाले दिन सुबह सूर्योदय होने से पहले उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेने हैं।
2: इतना करने के बाद आपको राधा जी और श्री कृष्ण जी की पूजा करनी चाहिए, और सुबह से अपने व्रत का संकल्प करना चाहिए। ध्यान रहे कि दिनभर में आपको सिर्फ एक बार ही फलाहार करना है।
3: दोस्तों इतना करने के बाद आपको भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए, और स्नान करवाने के बाद आपको श्री कृष्ण जी और राधा रानी दोनों का श्रृंगार करना चाहिए।
4: इतना करने के बाद बारी आती है श्री कृष्ण जी और राधा रानी को भोग लगाने की, और उन्हें धूप बत्ती और फूल अर्पित करने की। भोग में आप राधा रानी और श्री कृष्ण जी को किसी भी सफेद मिठाई, या फिर खीर का भोग लगा सकते हैं। आप चाहे तो चावल का भोग भी भगवान को अर्पित कर सकते हैं।
5: इसके बाद आपको अपने घर के पूजन कक्ष में एक मंडप का निर्माण करना है, जिसके लिए आप पांच रंग के चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं।
6: मंडप बन जाने के बाद आपको इस मंडप के अंदर एक कमल यंत्र को स्थापित करना है, जिसके ऊपर आपको भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के जोडे वाली प्रतिमा स्थापित करनी है।
7: दोस्तों इतना करने के बाद आपको विधि विधान से राधा रानी और श्री कृष्ण जी की पूजा करनी है, उनकी आरती करनी है, और अंत में राधा चालीसा का पाठ करना है।
इसके बाद आप भोग को घर के सदस्यों में वितरित करके खुद भी ग्रहण कर ले, और इसके बाद आप भोजन भी ग्रहण कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इस दिन किसी भी प्रकार के तापसिक भोजन का सेवन न करें।
Conclusion
तो अब अगर आपको राधा अष्टमी के महत्व के बारे में पता चल गया है, तो अब से आने वाले हर राधा अष्टमी के दिन आपको भी व्रत रख के राधा कृष्ण की पूजा करने के दौरान राधा चालीसा का पाठ करना चाहिए। ताकि आपको भी कृष्ण जन्माष्टमी के साथ-साथ राधा अष्टमी के व्रत और पूजा का पूरा फल प्राप्त हो।